Thursday, September 27, 2012

एक गुमनाम लेखक की डायरी-25

कल एक विद्यालय में कविता आवृति प्रतियोगिता का निर्णय करने जाना है। कविता आवृति का चलन बंगाल में ज्यादा है, और यह मुझे अच्छा लगता है। कई दिनों कार्यालय में व्यस्त रहा। पूरे आयोजन की अच्छी बात यह रही कि कृपाशंकर चौबे  ने एक अच्छा वक्तव्य दिया और उषा गागंली का नाटक पहली बार देख पाया। नाटक अच्छा रहा। अपने थियेटर के दिन याद आए।
अब कल से डायरी में कुछ अपनी बातें लिखूंगा।
अस्तु..।

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