Monday, October 8, 2012

एक गुमनाम लेखक की डायरी-29

अपनी कविताओं का बांग्ला अनुवाद देख रहा था। मैं बांग्ला पढ़ पाता हूं, थोड़ा बहुत समझ भी भाषा की है ही। साथ ही कुछ बांग्ला की कुछ किताबें मूल बांग्ला में ही पढ़ भी चुका हूं। जब मेरी कविताओं का बांग्ला अनुवाद मेरे सामने था और जब मैं उन्हें पढ़ रहा था तो एक अजीब सुखद अहसास हो रहा था मुझे। उसे यहां लिखकर बताना मेरे लिए संभव नहीं है।

कुछ कविताओं के अनुवाद बाकई बहुत अच्छे हैं लेकिन कुछ कविताओं को अनुवादक ने अपनी तरह से लिखने की कोशिश की है। जाहिर है मैं भी यह स्वीकार करता हूं कि अनुवाद एक पुनरर्चना है, जहां एक भाषा की भाव संकल्पना को बिना तोड़े उसे आप दूसरी भाषा में पुनः-सृजित करते हैं। 

अनुवादक का दायित्व इसलिए बहुत अधिक बढ़ जाता है। मेरी एक कविता में 'सिनरैनी' शब्द का प्रयोग है। 'सिनरैनी' हमारे गांव में हरिजनों द्वारा गाई जाने वाली लोक गायिकी की एक विधा है। 'सिनरैनी' 'शिनवारायणी' से आया हुआ शब्द लगता है, उसकी खास विशेषता यह है कि उसमें जीव, आत्मा, जगत और परमात्मा आदि की बातें कहीं जाती हैं। 

जब अनुवादक के सामने इस तरह का कोई शब्द आता है तो वह सकते में पड़ जाता है, क्योंकि यह एक ऐसी गायिकी की विधा है, जो बंगाल में ठीक उसी तरह प्रचलित नहीं है।  अनुवादक को मैंने समझाया कि बंगाल के गांवों में हरिजन जातियों द्वारा गाई जाने वाली लोक गीत की कोई ऐसी विधा नहीं है, जो सिनरैनी से मेल खाती हुई लगे। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद उस शब्द का सही-सही अनुवाद नहीं हो सका है। यहां सिर्फ लोकगीत कहकर काम चलाया गया है। इस तरह के और भी शब्द हैं, जो पूर्णतः गांव के हैं, और उनका उसी तरह ठीक-ठीक अनुवाद करना सचमुच बेहद कठिन है, असंभव भी है।

एक अनुवादक का काम कविता को बिना नुकसान पहुंचाए, उसे दूसरी भाषा में अंतरित करना होता है। कई बार मूल कविता पर अनुवादक की अपनी सोच हावी हो जाती है, या अनुवादक की भाषा और शिल्प का प्रभाव भी कुछ अधिक हो जाता है। ये दोनों ही चीजें अनुवाद के लिए नाकारात्मक होती हैं। 

एक अच्छा अनुवादक कविता की आत्मा और उसकी सही जगह की पहचान करते हुए कविता को इस तरह दूसरी भाषा में लाता है कि वह उसी भाषा की कविता लगने लगती है। यह अनुवादक की सफलता होती है।

अपने संग्रह हम बचे रहेंगे के पहले ड्राफ्ट को देखते हुए कुछ बातें जो उभर कर आईं , उसे लिख गया। 

मुझे फिर कहना चाहिए कि अनुवादक ने संग्रह का अनुवाद बहुत ही मेहनत से किया है, कुछ जगहें जहां कुछ शब्द या कुछ बातों को लेकर  संशय है, उसे कवि और अनुवादक दोनों मिल कर ठीक कर रहे हैं। यह अनुवाद के लिए एक जरूरी शर्त है, ऐसा मुझे लगता है।

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